ब्लॉग आर्काइव

सोमवार, 4 जुलाई 2016

पंचम RD Berman

'सा, रे, गा, मा, पा,धा,नी'
ये "पा" सनातनीओँ का पंचम तान है ।

हमारा सुबह का शुरवात इसी
पंचम तान से होता हे
जब काक पक्षी
'का' 'का' कर के हमेँ निँद से जगाता है ।
_ _
लेकिन सोचो
मैँ आज ये सब क्युँ बता रहा हुँ

च्युँकि आज है
म्युजिक मैस्त्रो पंचम दा
Rahul Dev Burman जी
का Birth Day
संगीतकार

सचीन देव बर्मन ने देखा जब जब उनका बेटा रोता है
पंचम तान मे रोता है
इसलिए आर डी बर्मन जी का नाम पंचम पड़ा !

कुछ लोगोँ के हिसाब से
R.D Burman के बालपन मे एकबार सचीन दा के घर
दादामुनी अशोक कुमार गये हुए
थे
अशोक दा ने देखा
आर डी बर्मन वहाँ पा पा पा
कर रहे थे
और इसलिए अशोक दा ने उनका निक् नेम पंचम रखा ।


पंचम दा जब 13 के थे
एक बार
लताजी उनके यहाँ आई हुई थी
पंचम दा ने जैसे ही जाना वह लताजी है
दौडे अटोग्राफ के लिए
पंचम दा ने लताजी से कहा
क्या आप मुझे अपना अटोग्राफ देगी ?
लताजी ने तब पंचम को जो आशिर्वाद दिया
आगे चल के वे इत्ते बड़े कंपोजर बने
आज दुनिया जानता है ।
ऐसे
बहुत कम मिशालेँ है
कि बाप भी ग्रेट , बेटा भी ग्रेट
हो
राहुल देव बर्मन दुनिया के ऐसे अकेले इकलौते कंपोजर है
जिनके कंपोजिसन मे
उनके पिता यानी सचीन देव बर्मन ने एक गाना गाया था !
युँ तो
Bollywood मे कंपोजर अनेकोँ हुए है
लेकिन उनके तरह म्युजिकाल एक्सपेरिमेँट
करनेवाला न हुआ न है ।
ये ग्रामी आवार्डवालोँ कि बद् किस्मती है कि
उन्होने R.D Burman के प्रतिभा को नजर अंदाज करदिया !
"मेरे सामने वाले खिडकी मेँ"
से
"एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा" तक
उनके ज्यादातर गानेँ
आज भी उतनी ही लोकप्रिय जितने कल थे ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें