राजस्थान के झुंझुनु जिल्ला मे
लोहार्गल नामक एक जगह है ।
कहते है
पाण्डव वंधु महाभारत युद्ध के बाद स्वजन हत्या दोष से मुक्ति हेतु श्रीकृष्ण के शरणापन्न हुए
तब श्रीकृष्ण ने उन्हेँ भारतवर्ष मे तीर्थाटन करने को कहा
ओर
ये भी कि जहाँ तुम्हारे अस्त्र अदृश्य हो जाएगेँ
तुम पापमुक्त हो जाओगे ।
पूर्व भारत ,दक्षिण भारत मेँ विभिन्न तीर्थस्थलोँ मे भ्रमण करते हुए
वे जब
राजस्थान के
इसी लोहार्गल मे अपने पूर्वज
तथा हतभ्राताओँ को
तर्पण देने को जल मे उतरे
एक अदभुत घटना घटा !
पांडवोँ के सारे अस्त्र गल गये
तभी
लौह+अर्गल=लौहर्गल
से आधुनिक लोहार्गल शब्द बना हो !
उस प्राचीन घटना को याद करने हेतु आज भी यहाँ के पवित्र
सूर्यकुण्ड ,भीमकुण्ड मे
सूर्यपराग व चन्द्रग्रहण के शुभ अवसर पर मेला लगता है ।
लोक विश्वास है
यहाँ पूर्वजोँ कि अस्थीओँ का विसर्जन करने पर वो गल जाते है
तथा
पितरोँ को परम गति प्राप्त होते है ।
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