ब्लॉग आर्काइव

रविवार, 10 सितंबर 2017

●●मन ही मित है तेरा मन ही शत्रु●●

एकबार एक अमेरिकी कैदीके साथ एक परिक्षण किया गया....

उसे पहले एक जहरीले साप के बारे में जानकारी दियागया फिर एक व्यक्ति उसके सामने उसी नस्ल का एक सांप लेकर आया.....

उसे बताया गया कि
इसी साप के द्वारा उसे कटवाया जाएगा....

फिर उसके
आखों में पट्टी बांधकर उसे
बिठाया गया
ओर उसे एक अन्य बिनजहरीले साप से कटवाया गया....

व्यक्ति मरगया.....
उसके अंगों में जहर फैल गया था
लेकिन ये जहर उस सांप कि नहीं थी....

उस कैदी के मस्तिष्क ने वह जहर बनाया था....
वो भी सिर्फ डर के कारण.....

यानी बात साफ है
हमारा मन ही मित्र है ओर मन ही शत्रु
ओर मन कहाँ है ?
मस्तिष्क में.....

हृदय में बस ब्लड शुद्ध होता है
मानव सभी बिचार कार्य अपने मन में करता है....

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