श्री सुधांशु त्रिवेदी जी अपने कई साक्षात्कारों में रामचरितमानस के किष्किन्धा कांड में मौजूद एक चौपाई का उल्लेख करते हैं:
“बरषहिं जलद भूमि निअराएँ।
जथा नवहिं बुध बिद्या पाएँ।
बूँद अघात सहहिं गिरि कैसे।
खल के बचन संत सह जैसें॥2॥”
इसके बाद वे कहते हैं कि इस चौपाई में ‘निअर’ शब्द है, जिसका अर्थ है निकट। कोई कह सकता है कि रामचरितमानस में अंग्रेजी शब्द ‘Near’ (निकट) आकर मिल गया है। लेकिन क्या तुलसीदास के समय में अयोध्या में अंग्रेजों का शासन था? नहीं, नहीं था! इसलिए अवधी का यह ‘निअर’ शब्द ही अंग्रेजी भाषा में ‘Near’ शब्द के रूप में प्रचलित हुआ।
शब्द व्युत्पत्ति विज्ञान को जाने बिना जब लोग केवल दो शब्दों के बीच बाहरी समानता देखकर एक शब्द को दूसरे का मूल घोषित कर देते हैं, तो देश के भाषाविदों को इसका सत्य-असत्य जानकर समाज को सूचित करना चाहिए।
दुख की बात है कि 140 करोड़ की जनसंख्या वाले भारत में कोई भी इस भ्रामक टिप्पणी के खिलाफ तर्कसंगत मत व्यक्त नहीं करता, न ही कभी किया है।
“(शब्द व्युत्पत्ति विज्ञान के क्षेत्र में) यदि दो शब्दों के बीच व्युत्पत्तिगत संबंध हो, तो उन्हें सगोत्रीय या phylogenetically linked कहा जाता है। असगोत्रीय शब्दों को केवल बाह्य समानता के आधार पर जोड़ना सांख्यिकी में spurious association कहलाता है। ऐसा करने से पाठक स्वयं भ्रमित होते हैं और दूसरों को भी भ्रमित करते हैं।”
सुधांशु त्रिवेदी ने अवधी के ‘निअर’ और अंग्रेजी के ‘Near’ के बीच बाहरी समानता देखकर दोनों को एक ही मूल का मान लिया और स्वयं भ्रम में पड़कर दूसरों को भी भ्रमित कर दिया।
वास्तव में, अवधी का ‘निअर’ (निकट) और अंग्रेजी का ‘Near’ (निकट) अर्थ में समान हैं, दोनों के उच्चारण में भी कुछ समानता है, लेकिन कोई सगोत्रीय संबंध नहीं है।
अंग्रेजी में प्रचलित ‘Near’ शब्द एक शुद्ध अंग्रेजी शब्द है। इसका मध्यकालीन अंग्रेजी रूप nere और ner था, और प्राचीन अंग्रेजी में nēar। अंग्रेजी ‘Near’ का मूल पश्चिमी जर्मनिक रूप nēhw (“near”) था, जिससे अन्य भाषा जैसे डच में naar (“to, towards”), जर्मन में näher (“nearer”), डेनिश में nær(“near, close”), नॉर्वेजियन में nær (“near, close”), और स्वीडिश में nära (“near, close”) जैसे शब्द बने। ये सभी भाषाएँ इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार की जर्मनिक शाखा की हैं, इसलिए एक ही अर्थ वाले सगोत्रीय शब्दों का कई भाषाओं में प्रचलन आश्चर्यजनक नहीं है। भाषाविदों ने अंग्रेजी ‘Near’ का मूल इंडो-यूरोपीय धातु *h₂neḱ- (पहुँचना, प्राप्त करना) के रूप में निर्धारित किया है। इस दृष्टि से अवधी का ‘निअर’ नहीं, बल्कि संस्कृत के आनट्, आष्ट, अश्नोति, अक्ष् धातु और अक्षति जैसे शब्द अंग्रेजी के ‘Near’ और ‘Nigh’ जैसे शब्दों से सगोत्रीय संबंध रखते हैं।
तो फिर अवधी में प्रचलित ‘निअर’ शब्द की व्युत्पत्ति क्या है?
इस प्रश्न का उत्तर आज से साठ-सत्तर वर्ष पहले भाषाविद सर राल्फ लिली टर्नर ने अपनी व्युत्पत्ति कोश A Comparative Dictionary of Indo-Aryan Languagesके 409वें पृष्ठ पर दिया था। सर टर्नर के अनुसार, अवधी में प्रचलित ‘निअर’ शब्द संस्कृत के ‘निकट’ शब्द से निकला देसी शब्द है। इस व्युत्पत्ति कोश के अनुसार, संस्कृत का ‘निकट’ शब्द पालि में निकट्ठे, प्राकृत में णिअड्, णिअल, णिअडिअ, और बौद्ध संस्कृत शैली में nī́er के रूप में प्रचलित था।
पाकिस्तान, भारत और अफगानिस्तान में कई इंडिक भाषाएँ प्रचलित हैं, जिन्हें दार्दिक भाषाएँ कहा जाता है। कई दार्दिक इंडिक भाषाओं में भी ‘निकट’ शब्द विभिन्न रूपों में प्रचलित है। उदाहरण के लिए, दार्दिक भाषा दमेली में nyεiŕ और nyäyᵃ, दरवाली में niō, दार्दिक भाषा पशाई में nyōṛṓ, दार्दिक भाषा Gawar-Bati में nyāṛɔ, साबी में nyeṛo, और पालुला या अस्राती में nihā́ṛa जैसे शब्द ‘निकट’ शब्द के मूल से हैं समानार्थी भी हैं। सबसे प्रसिद्ध दार्दिक भाषा कश्मीरी में nyūrᵘ, nīrᷴ, nēri, nēṛē (रामवाणी उपभाषा), *niōṛᵘ* (कष्टवारी उपभाषा), और *nēṛi* (पोगुली शैली) जैसे शब्द ‘निकट’ अर्थ में प्रचलित हैं।
इसी तरह, पश्चिमी पंजाबी लहण्डा भाषा में ‘निकट’ से सगोत्रीय शब्द neṛe समान अर्थ में प्रचलित है, जबकि पंजाबी में neṛā (आसपास) और neṛe (निकट) शब्द प्रचलित हैं।
पश्चिमी पहाड़ी भाषा में nēṛō और *nīṛ*, कामायुनी में neṛo, नेपाली में nira, बंगाली में niaḍi और niyaṛ, मराठी और भोजपुरी में niyar, हिंदी में neṛe, nīṛe और nīre, तथा गुजराती में neṛε जैसे शब्द ‘निकट’ शब्द से समोद्भूत हैं और समान अर्थ में प्रचलित हैं, जैसा कि सर राल्फ लिली टर्नर के व्युत्पत्ति कोश में उल्लेखित है।
इस व्युत्पत्ति कोश के अनुसार, ओड़िया भाषा में भी एक शब्द ‘निआड़’ प्रचलित है, जो इसी मूल का शब्द है। पूर्णचंद्र भाषा कोश में ‘निआड़’ शब्द के अर्थ के रूप में सामने, निर्अंतराल, प्रत्यक्ष और निकटवर्ती आदि उल्लेखित हैं। साथ ही, कथित ओड़िया शब्दकोश के 669वें पृष्ठ पर ‘निआत’ शब्द का उल्लेख अनुगोल क्षेत्र में ‘निकट’ अर्थ में प्रचलित होने के रूप में किया गया है।
इसलिए, कुल मिलाकर, संस्कृत का ‘निकट’, प्राकृत का णिअड् और णिअल, अवधी का ‘निअर’, और ओड़िया का ‘निआड़’ आदि शब्दों के साथ अंग्रेजी के ‘Near’ शब्द का कोई भी सगोत्रीय संबंध नहीं है ।
सुधांशु त्रिवेदी जैसे विद्वान वक्ता और ज्ञानी भी भूल कर सकते हैं। इसलिए, चाहे कितने बड़े व्यक्ति का कथन या लेख हो, शब्द व्युत्पत्ति से संबंधित मतों को आँख मूंदकर स्वीकार करने के बजाय उनके सत्य-असत्य की जाँच करना हमारा कर्तव्य होना चाहिए, है न?
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