आजकल व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के एक लेख में दावा किया जा रहा है कि 100-150 वर्ष पहले इंग्लैंड में तलाक और विधवा पुनर्विवाह को कानूनी मान्यता दी गई थी, और दूसरे पति द्वारा पहली शादी से हुए बच्चों को स्वीकार न करने के कारण चर्च द्वारा संचालित कॉन्वेंट अनाथ और परित्यक्त बच्चों की शिक्षा और पालन-पोषण करते थे। इन अनाथ बच्चों को गोद लेने के इच्छुक माता-पिता से मिलाने के लिए चर्च द्वारा कॉन्वेंट स्कूलों में मदर्स डे और फादर्स डे जैसे आयोजन शुरू किए गए थे, इत्यादि। लेकिन यह सब प्रचार और ऐतिहासिक तथ्यों की गलत व्याख्या है।
ब्रिटेन में Matrimonial Causes Act, 1857 को पारित किया गया था, लेकिन यह बहुत सख्त और सीमित था। उस समय ब्रिटिश समाज अत्यधिक रूढ़िवादी था, इसलिए तलाक बहुत दुर्लभ था। तलाक को सामाजिक कलंक के साथ जोड़ा जाता था। विधवा पुनर्विवाह सामाजिक रूप से स्वीकार्य था, लेकिन इससे अनाथ बच्चों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई। इस दावे का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है कि तलाक या पुनर्विवाह के कारण कॉन्वेंट अनाथ बच्चों का पालन-पोषण करते थे।
इंग्लैंड में कॉन्वेंट मुख्य रूप से धार्मिक समुदायों (ननों) के निवास स्थान थे। कुछ कॉन्वेंट शिक्षा और दान कार्य करते थे, लेकिन उनका मुख्य उद्देश्य अनाथ बच्चों का पालन-पोषण नहीं था। अनाथ बच्चों के लिए वर्कहाउस या अनाथालय थे, जो चर्च, अन्य संस्थाओं या व्यक्तियों द्वारा संचालित होते थे।
यह समझना जरूरी है कि भारत में 19वीं शताब्दी में ईसाई मिशनरियों ने कॉन्वेंट स्कूल स्थापित किए। इन कॉन्वेंट स्कूलों की स्थापना का मुख्य उद्देश्य अंग्रेजी भाषा की शिक्षा और ईसाई धर्म से संबंधित शिक्षा प्रदान करना था। भारत में ही धर्मांतरण के लिए अनाथ हिंदू बच्चों को चर्च द्वारा संचालित कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ाया जाता था। अंग्रेजों ने समझा कि शासन को मजबूत करने के लिए कुछ भारतीयों को अंग्रेजी शिक्षा देकर उनके माध्यम से अपने कार्यों को संपादित करना अधिक तर्कसंगत होगा। उन्होंने सोचा कि भारतीयों को अंग्रेजी शिक्षा देने से वे अपने धर्म और संस्कृति से दूर हो जाएंगे और ईसाई धर्म अपनाएंगे। उस समय कुछ भारतीय धर्मांतरित भी हुए। लेकिन अधिकांश भारतीयों को धर्मांतरित करने के लिए अंग्रेजों ने दस से अधिक कृत्रिम अकाल और कई महामारियां फैलाकर भारतीयों को आर्थिक रूप से गरीब किया। इस तरह भारत में चर्च द्वारा अनाथालयों का संचालन और कॉन्वेंट स्कूलों की स्थापना कर धर्मांतरण किया गया।
यह दावा कि मदर्स डे और फादर्स डे की उत्पत्ति चर्च द्वारा संचालित कॉन्वेंट स्कूलों में गोद लेने के इच्छुक माता-पिता को आकर्षित करने के लिए हुई, पूरी तरह झूठ है।
मदर्स डे की शुरुआत 1908 में अमेरिका में अन्ना जार्विस (Anna Jarvis) नामक एक महिला द्वारा हुई थी। अन्ना ने अपनी मां एन रीव्स जार्विस की स्मृति में इस दिन की शुरुआत की थी, जो एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं और अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान माताओं की सहायता के लिए “मदर्स डे वर्क क्लब” बनाया था। 1908 में अन्ना जार्विस ने अपनी मां की स्मृति में वेस्ट वर्जीनिया के ग्राफ्टन में एक स्मारक समारोह आयोजित किया, जिसे आधुनिक मदर्स डे की शुरुआत माना जाता है। अन्ना के प्रयासों से 1914 में अमेरिकी राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन ने मदर्स डे को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया, जो मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। अन्ना चाहती थीं कि यह दिन भावनात्मक और हार्दिक उत्सव हो, जिसमें बच्चे अपनी मां के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर सकें। हालांकि, बाद में मदर्स डे का व्यावसायीकरण होने से अन्ना इससे असंतुष्ट हो गईं और इसके मूल उद्देश्य को बचाने के लिए संघर्ष किया।
फादर्स डे की शुरुआत 1910 में अमेरिका में सोनोरा स्मार्ट डोड (Sonora Smart Dodd) नामक एक महिला द्वारा प्रस्तावित हुई थी। सोनोरा के पिता विलियम जैक्सन स्मार्ट एक गृहयुद्ध के अनुभवी सैनिक थे, जिन्होंने अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद अकेले छह बच्चों का पालन-पोषण किया था। अपने पिता के त्याग और समर्पण से प्रेरित होकर सोनोरा ने पिताओं को सम्मान देने के लिए एक विशेष दिन मनाने का प्रस्ताव दिया। 19 जून 1910 को वाशिंगटन के स्पोकेन में पहला फादर्स डे मनाया गया।
हालांकि, अमेरिका में फादर्स डे को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मान्यता देने में अधिक समय लगा। 1966 में राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने इसे राष्ट्रीय स्तर पर मनाने की घोषणा की और 1972 में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने इसे स्थायी राष्ट्रीय अवकाश के रूप में स्थापित किया। यह जून के तीसरे रविवार को मनाया जाता है।
कुल मिलाकर, कॉन्वेंट स्कूलों की स्थापना का उद्देश्य ब्रिटेन जैसे ईसाई देशों और भारत जैसे तत्कालीन उपनिवेशों में अलग-अलग था। ब्रिटेन में अनाथ बच्चों को पढ़ाने और पालने के लिए कॉन्वेंट स्कूल स्थापित नहीं किए गए थे, लेकिन भारत में भारतीयों का धर्मांतरण करने के लिए अंग्रेजों द्वारा कॉन्वेंट स्कूल स्थापित किए गए थे।
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