क्या आपने कभी सोचा कि अंतरिक्ष कहाँ से शुरू होता है? क्या अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS), जो पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर की ऊँचाई पर चक्कर लगाता है, वास्तव में अंतरिक्ष में है? आइए, इस सवाल का जवाब एक सरल और रोचक तरीके से तलाशते हैं, जिसमें हम पृथ्वी की वक्रता, होराइजन, और अंतरिक्ष की वैज्ञानिक परिभाषा को समझेंगे।
जब आप पृथ्वी की सतह पर खड़े होते हैं, मान लीजिए 6 फीट की ऊँचाई पर, तो आप किसी भी दिशा में लगभग 4.8 किलोमीटर दूर तक देख सकते हैं। इसे आपका "होराइजन" कहते हैं। 360 डिग्री घूमकर आप पृथ्वी का लगभग 73 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र देख पाते हैं। यह गणना पृथ्वी की गोलाकार संरचना पर आधारित है।
अब, अगर हम आपको 555 मीटर ऊँचाई पर, जैसे कि दुबई के बुर्ज खलीफा के अवलोकन डेक पर ले जाएँ, तो आपका होराइजन बढ़कर 84 किलोमीटर हो जाता है, और आप 22,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र देख सकते हैं। अगर आप माउंट एवरेस्ट की चोटी (8.8 किमी) पर खड़े हों, तो आपका होराइजन 336 किलोमीटर तक फैल जाता है, और आप 3.5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र देख पाते हैं।
अब कल्पना करें कि आप ISS पर हैं, जो पृथ्वी से 400 किलोमीटर ऊपर है। इस ऊँचाई से आपका होराइजन 2,257 किलोमीटर तक फैल जाता है, और आप पृथ्वी का लगभग 1.5 करोड़ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र देख सकते हैं। यह पृथ्वी की सतह का लगभग 12-15% हिस्सा है, जो इतना बड़ा है कि पृथ्वी आपको एक नीले-सफेद गोले की तरह दिखने लगती है। लेकिन क्या यह वास्तव में अंतरिक्ष है? आइए, इसे और गहराई से समझें।
400 किलोमीटर की ऊँचाई पर वायुमंडल इतना पतला हो जाता है कि प्रकाश का प्रकीर्णन (scattering) लगभग रुक जाता है। यही कारण है कि पृथ्वी की सतह पर नीला दिखने वाला आसमान यहाँ काला दिखता है, भले ही सूरज चमक रहा हो। यह काला आसमान अंतरिक्ष का एक स्पष्ट संकेत है, क्योंकि यह दर्शाता है कि आप पृथ्वी के घने वायुमंडल से बाहर हैं।
इसके अलावा, ISS पर अंतरिक्ष यात्री "भारहीनता" का अनुभव करते हैं। यह भारहीनता अंतरिक्ष का गुण नहीं, बल्कि "फ्री-फॉल" का परिणाम है। ISS और इसके यात्री पृथ्वी की ओर लगातार गिर रहे हैं, लेकिन उनकी कक्षीय गति (लगभग 27,600 किमी/घंटा) उन्हें पृथ्वी से टकराने से रोकती है। इस माइक्रोग्रैविटी की स्थिति में अंतरिक्ष यात्री तैरते हुए प्रतीत होते हैं, जो अंतरिक्ष यात्रा का एक अनूठा अनुभव है।
कुछ लोग तर्क दे सकते हैं कि 400 किलोमीटर की ऊँचाई पृथ्वी के आकार की तुलना में बहुत कम है। अगर पृथ्वी को एक क्लासरूम ग्लोब की तरह छोटा कर दें, तो यह दूरी एक बाल की मोटाई जितनी हो सकती है। लेकिन अंतरिक्ष की परिभाषा दूरी की सापेक्षता पर नहीं, बल्कि वैज्ञानिक मापदंडों पर आधारित है।
वैज्ञानिक रूप से, अंतरिक्ष की शुरुआत कार्मन रेखा (Kármán line) से मानी जाती है, जो समुद्र तल से 100 किलोमीटर की ऊँचाई पर है। इस रेखा पर वायुमंडल इतना पतला हो जाता है कि पारंपरिक विमान उड़ान नहीं भर सकते, और कक्षीय गति की आवश्यकता होती है। ISS 400 किलोमीटर की ऊँचाई पर है, जो कार्मन रेखा से चार गुना ऊपर है। इसलिए, यह निश्चित रूप से अंतरिक्ष में है।
ISS से पृथ्वी का जो गोलाकार दृश्य दिखता है, वह पूरी पृथ्वी नहीं, बल्कि उसका एक बड़ा हिस्सा है। यह दृश्य इतना प्रभावशाली होता है कि यह पृथ्वी की गोलाई को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। इसे "भ्रम" कहना गलत होगा, क्योंकि यह पृथ्वी की गोलाकार प्रकृति का वास्तविक प्रमाण है। जैसे-जैसे ISS पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है, अंतरिक्ष यात्री इसके विभिन्न हिस्सों को देख सकते हैं, जो इस अनुभव को और भी रोमांचक बनाता है।
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर अब तक 634 लोग जा चुके हैं, और वे सभी निस्संदेह अंतरिक्ष में गए हैं। 400 किलोमीटर की ऊँचाई पर काला आसमान, माइक्रोग्रैविटी, और पृथ्वी का गोलाकार दृश्य अंतरिक्ष के स्पष्ट लक्षण हैं। यह सही है कि ISS पृथ्वी के बहुत करीब है, और यह चंद्रमा या मंगल जैसी गहरे अंतरिक्ष की यात्रा नहीं है, लेकिन यह निम्न पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit) में है, जो वैज्ञानिक रूप से अंतरिक्ष का हिस्सा है।
अंतरिक्ष यात्रा केवल दूरी की बात नहीं, बल्कि एक नया परिप्रेक्ष्य और वैज्ञानिक खोज का प्रतीक है। ISS पर काम करने वाले अंतरिक्ष यात्री न केवल पृथ्वी की सुंदरता को देखते हैं, बल्कि मानवता के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान और अंतरिक्ष अन्वेषण के नए द्वार खोलते हैं। तो अगली बार जब आप ISS के बारे में सुनें, तो याद रखें: यह न केवल अंतरिक्ष में है, बल्कि यह मानव की जिज्ञासा और साहस का प्रतीक है !
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